मेडिकल में प्रवेश के लिए होने वाली राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (नीट) और इंजीनियरिग के लिए होने वाली संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) में देरी छात्रों के भविष्य के लिए घातक है। ज्यादा देरी से ‘जीरो अकेडमिक ईयर’ जैसी स्थिति बन जाएगी, जिससे कई प्रतिभावान छात्रों को नुकसान होगा

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विड-19 के कारण इन दोनों प्रवेश परीक्षाओं को दो बार टाला जा चुका है। अब सितंबर में इनके आयोजन की तारीख तय की गई है, लेकिन कुछ छात्र और राजनीतिक संगठन इन्हें टालने की मांग कर रहे हैं। आइआइटी प्रमुखों का कहना है कि छात्रों को परीक्षा का आयोजन करा रहे संस्थानों पर विश्वास करना चाहिए।

. चतुर्वेदी ने कहा, ‘महामारी के कारण पहले ही बहुत से छात्रों और संस्थानों की योजनाएं प्रभावित हो चुकी हैं। इस वायरस का खतरा अभी कुछ समय तक खत्म होता नहीं दिख रहा है। ऐसे में पूरे वषर्ष को ‘जीरो अकेडमिक ईयर’ बनने नहीं दिया जा सकता है। इससे कई छात्रों के उज्ज्वल भविष्य पर बुरा असर प़़डेगा
प्रतिभाओं के चयन के लिए इन्हें सबसे कठिन एवं अहम परीक्षाओं में शुमार किया जाता है। जल्दबाजी में इनका कोई विकल्प तलाशने की कोशिश इनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करेगी। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक व्यवस्था से आइआइटी में प्रवेश की पूरी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। आइआइटी गांधीनगर के डायरेक्टर सुधीर के. जैन ने कहा कि निसंदेह अभी अप्रत्याशित स्थिति है, लेकिन वषर्षो से तैयारी में लगे छात्रों के भविष्य के बारे में भी सोचना होगा।

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